Roof design
इमारत की छत के रचना
छत क्या है ?
छत इमारत के आवरण का एक हिस्सा है | यह इमारत का ऊपर का हिस्सा होता है |
छत के निर्माण के 3 मुख्य पहलू होते है |
सामग्री : केले के पत्ते , गेंहूं की घास, समुद्री घास , कांसा , एल्युमीनियम और कंक्रीट का प्रयोग छत बनाने के लिए किया जा सकता है | दुनिया के कुछ भागों में सिरामिक की टाइलों का प्रयोग सर्वाधिक रूप से किया जाता है |
निर्माण : छत का निर्माण उसके अवलंब के तरीके , वहां की जलवायु और उसके नीचे की सतह पाटी हुई है या फिर रालदार(ढलान दार) है |
शहनशीलता (टिकाऊपन) : ये सबसे बड़ा चिंता का विषय होता है क्योंकि छत घर का वो हिस्सा होता है जिसकी हम सबसे कम मरम्मत करते है तथा हम बहुत काम छत का प्रयोग करते है | छत में कोई छोटी सी कमी भारी विनाश का कारण हो सकता है |
छत के भाग :
छत के 4 भाग होते है |
इसके साथ की संरचना :
छत की संरचना ज्यादातर दीवारों पर टिकी होती है | हालांकि कुछ इमारतों में छत और दीवारें अलग अलग होती है | छत को सहारा देने वाली संरचनाओं में टिम्बर , कच्चा लोहा , इस्पात तथा RCC होते हैं |
ऊपरी परत :
ऊपरी परत संरचना को नमी धुप तथा जलवायु के अन्य प्रभावों से बचाती है | समुद्री घास (आयु 40 वर्ष) , तख्ते , अश्फाल्ट के तख्ते (आयु 20 वर्ष से लेकर जीवांत ) , आरसीसी , पाटिया इत्यादि बस्तुओं का प्रयोग किया जा सकता है |
चूंकि छत का मूलभूत उपयोग जलवायु के प्रभाव से लोगों की सुरक्षा के लिए होता है | इसलिए छत की रोधकता को हमेशा ध्यान में रखते हुए छत का निर्माण करना चाहिए | कुछ बस्तुओं की रोधकता अच्छी होती है जैसे घास , ऐसी बस्तुओं की छतों के लिए रोधक् बस्तुओं की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन जिन बस्तुओँ रोधकता कम होती है ऐसी छतों के ऊपरी हिस्से के ठीक नीच रोधक पदार्थो को लगाया जाता है | विकसित देशों में छत संरचनात्मक झिल्ली के नीचे सीलिंग लगाई जाती है जो ठँड , गर्मी , आवाज़ और धुल से बचाती है |
पानी का निकास :
छतों का काम है पानी को छत से बाहर भेजना | पानी के निकास की व्यवस्था समतल छतों के लिए अति आवश्यक है | समतल छतों में थोड़ी सी ढलान होनी चाहिए | ढलान वहां पर होने वाली वारिश पर निर्भर करती है | छत से आने वाला पानी इमारत के उन हिस्सों को नुक्सान पहुंचाता जिन हिस्सों को छत बचाती है | इससे दीवारों को नुक्सान होता है | और अगर यह नीव के आसपास रहा तो यह नींव में रिसकर उसको कमजोर कर देगा और उससे सड़ांध पैदा होती है | इसलिए सभी इमारतों में इमारत को छत के पानी से बचाने के लिए एक व्यवस्थित जल निकास प्रणाली होनी चाहिए |
सोलर छत :
यह छत बनाने की एक नयी प्रणाली है | इसमें सौर्य ऊर्जा के तख्तों से छत को ढक दिया जाता है | जो घरों को बिजली के साथ साथ जलवायु के प्रकोपों से भी बचाते हैं |
The most common type of roof designs in India are flat roofs, gable roofs, sloping roofs and mansard roofs.
Easy Nirman Construction was Never Easy Before Us
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