क्या करे यदि प्लाट छोटा और अधिक निर्माण क्षेत्र की आवश्यकता है:

क्या करे यदि प्लाट छोटा और अधिक निर्माण क्षेत्र की आवश्यकता है:


कई बार मजबूरी में या गलती से प्लाट साईज वो नहीं होता जो हमारी आवश्यकता को पूरा करे| हो सकता है जिस जगह हमने जमीन खरीदी वहां का दर ज्यादा हो, कोई आर्थिक कन्सट्रैन्ट रहा हो| यह भी हो सकता है की जो जमीन हमारे पास है वह उतनी बड़ी नहीं हो जितना हम चाहते हैं| अब ऐसे में क्या किया जाये?

 

ऐसे में हमे जो भूमि का टुकडा़ मिलता है वो लेना पडता है और हम यह भी जानते हैं की वो हमारी आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकता | ऐसे में हमारे पास जो सोल्युशन रह जाता है या निकलता है, वह है कि हम आधुनिक तरीके से अपना कर घर में स्पेशियस बनाये | क्या यह संभव है? इस आर्टिकल में आपको अपने इस सवाल का जवाब मिलेगा|

 

सबसे पहले तो हम यह समझते हैं की निर्माण क्षेत्र जिसे बिल्ट अप एरिया भी कहते हैं, उसमे और कारपेट एरिया और सुपर-बिल्ट अप एरिया में में क्या अंतर है?

सबसे पहले शुरुआत करते हैं कारपेट एरिया से, कारपेट एरिया का अर्थ होता है वो एरिया जिस पर हम कारपेट बिछा सकते हैं| यह एरिया युसेबल फ्लोर स्पेस होती है यानि की अंदरूनी दिवार से अंदरूनी दिवार तक की दूरी|

 

फिर आता है बिल्ट अप एरिया| यह होता है कारपेट एरिया प्लस वाल थिकनेस, यानि पूरा निर्माण क्षेत्र| अब आया सुपर बिल्ट अप एरिया| इस कांसेप्ट का इस्तेमाल होता है अपार्टमेंट काम्प्लेक्स में जहाँ कॉमन स्पेस जैसे की कॉरिडोर, लिफ्ट, स्टेर्कस इन्क्लुड हो जाती हैं| अब जब हम यह टर्मिनोलॉजी समझ गए हैं तो अब जानते हैं ‘ऍफ़-ए -आर’ के बारे में| इसका फुल फॉर्म है फ्लोर एरिया रेश्यो, यह वह पैमाना है जिसके बूते पर तय होता है की एक दिए हुए प्लाट एरिया में कितने फ्लोर की ईमारत बन सकती है| ‘ऍफ़-ए -आर’ के १ होने का अर्थ होता है उस प्लाट पर १ मंजिला ईमारत ही बन सकती है| वही ‘ऍफ़-ए -आर’ २ का मतलब है एक १००० वर्गफीट के प्लाट पर २००० वर्गफिट का निर्माण हो सकता है| इस निर्माण क्षेत्र में सभी फ्लोर्स आएंगे|

 

अलग-अलग जगह पर अलग-अलग ‘ऍफ़-ए -आर’ होते हैं जो की वहां की पापुलेशन डेंसिटी और अन्य फैक्टर्स पर निर्भर होते हैं| यह जानना इसीलिए जरुरी है की काम प्लाट साइज होने पर लोगों का पहला ख्याल होता है की वर्टिकल स्पेस क्रियेट किया जाये | प्लाट छोटा है तो हमें आसमान की तरफ जाना होगा | अगर आपका ‘ऍफ़-ए -आर’ यह परमिट करता है तो ठीक है| नहीं तो ऐसा करना संभव नहीं हो पायेगा|

 

तो अगर प्लाट छोटा हो और आपको ज्यादा बिल्ट-अप एरिया चाहिए यह इस पर भी निर्भर करेगा की आपका प्लाट कितना छोटा है? बहुत छोटे प्लाट पर सौ प्रतिशत निर्माण किया जाता है, जैसे - जैसे प्लाट साइज बढ़ता है निर्माण का परसेंटेज कम हो जाता है| अब जब आप यह सब जान गए हैं और चाहते हैं की आपकी स्पेस का सही इस्तेमाल हो तो कसी भी आर्किटेक्ट को अपनी जरूरत बता कर जमीन का सही उपयोग किया जा सकता है | सिस्टम तो यही है पार्किंग ग्राउंड फ्लोर पर और ऊपर रिहाईश पर प्लाट ले कर घर बनवाने में कुछ चीजे बदल जाती है |

 

प्लाट के हिसाब से और उसमे रहने वाले लोगो की संख्या के आधार पर घर का प्लान डिजाईन करवाना चाहिये | प्लाट के हिसाब से कितनी हाईट की परमिशन मिलेगी ये तय हो जाता है | ऐसे में सबसे जरुरी होता है स्पेस का सही यूटिलाइजेशन| एक तरीका जो अपनाया जा सकता है वो है दिवार की थिकनेस कम करने का|  स्ट्रक्चर सिस्टम फ्रेम का ही होता है और दीवारों का रोल बस पार्टीशन एंड सेपरेशन फ़्रम एनवायरनमेंट का रह जाता है| तो दीवारों की थिकनेस कम करने से बिल्ट अप एरिया वही रहेगा, क्यूंकि उसे हम नहीं बदल सकते , लेकिन कम से कम कारपेट बढ़ जायेगा, जो हमारे लिए उपयोगी होगा|    

 

आज कल टायनी हाऊस का कल्चर चल रहा है| छोटे खूबसूरत घर | सीमित सामान |

लोग यही पसन्द कर रहे है | छोटे प्लाट में एक के ऊपर एक कमरे, या बेड्स, बना कर जगह का काफी युस किया जा सकता|  घर खूबसूरत बन जायेगा|

Small Construction ideas

Easy Nirman Construction was Never Easy Before Us

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